Sarcopenia a biggest problem

sarcopenia

 Sarcopenia- एक ऐसी स्थिति है जिसमें उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत और मास का नुकसान होता है। यह आमतौर पर वृद्धावस्था में होती है और इसके कारण मांसपेशियों की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, जिससे कमजोरी और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है। सारकोपेनिया के कारण व्यक्ति को चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है और गिरने का जोखिम बढ़ जाता है।

सार्कोपीनिया (Sarcopenia) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह समस्या मुख्य रूप से मांसपेशियों की ताकत और मास में कमी के रूप में प्रकट होती है, जिससे बुजुर्गों के शारीरिक कार्यों पर बुरा असर पड़ता है। 50 वर्ष की उम्र के बाद यह स्थिति तेजी से बढ़ सकती है, और 60-70 वर्ष के बाद यह और अधिक सामान्य हो जाती है।

 सार्कोपीनिया का मुख्य कारण उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक गतिविधियों की कमी, खराब पोषण, हार्मोनल बदलाव, और मांसपेशियों के पुनर्निर्माण की धीमी प्रक्रिया है। यह स्थिति न केवल शारीरिक कमजोरी का कारण बनती है, बल्कि यह स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने, दैनिक कार्य करने और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई पैदा कर सकती है। 

सरकोपेनिया ( sarcopenia) आज़ के दौर में हर उम्र के लोगो में दिखने लगा है ,गलत खानपान और पोशाक तत्वों (nutrition) की कमी के कारण ही लोग शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित हो रहे है।

इसके परिणामस्वरूप गिरने और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है, जो बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, Sarcopenia  से हृदय रोग, मधुमेह और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। इसका प्रभाव न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, क्योंकि व्यक्ति अपने कमजोर और निर्भर हो जाने के कारण मानसिक तनाव और अवसाद का अनुभव कर सकता है। 

इसका समाधान नियमित शारीरिक व्यायाम, जैसे कि वेट ट्रेनिंग और स्ट्रेचिंग, के साथ-साथ प्रोटीन, विटामिन डी, और कैल्शियम से भरपूर संतुलित आहार के माध्यम से किया जा सकता है। साथ ही,न्यूट्रिशन काउंसलर से नियमित परामर्श और सक्रिय जीवनशैली को अपनाकर इस समस्या के प्रभाव को कम किया जा सकता है। Sarcopenia  का समय पर पता लगाना और इसका प्रबंधन करना बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है

Sarcopenia

7 symptoms of sarcopenia 

सार्कोपेनिया (Sarcopenia) एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियों का दुबला होना और ताकत में कमी आ जाती है, खासकर बुजुर्गों में। इसके लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  1. मांसपेशियों की कमजोरी: व्यक्ति को सामान्य काम करने में भी कठिनाई होने लगती है, जैसे कि सीढ़ियाँ चढ़ना या भारी चीज़ें उठाना।
  2. शरीर में लचीलापन की कमी: मांसपेशियाँ कमजोर होने के कारण शरीर में लचीलापन घट जाता है, जिससे हरकतें करना मुश्किल हो सकता है।
  3. चलने में परेशानी: चलने की गति धीमी हो सकती है और संतुलन बनाए रखना कठिन हो सकता है। गिरने का खतरा भी बढ़ सकता है।
  4. थकान का अनुभव: मांसपेशियों की कमजोरी के कारण जल्दी थकान महसूस होना, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान।
  5. वजन में कमी: मांसपेशियों का घटना शरीर के कुल वजन को भी प्रभावित कर सकता है। शरीर की मांसपेशियों की परत घटने के कारण वजन में कमी आ सकती है।
  6. सांस चढ़ना: शारीरिक गतिविधि करते समय सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि कमजोर मांसपेशियाँ शरीर की ऊर्जा का सही उपयोग नहीं कर पातीं।
  7. जोड़ों और हड्डियों में दर्द: मांसपेशियों की कमजोरी के कारण शरीर के अन्य हिस्सों में दबाव पड़ सकता है, जिससे जोड़ों और हड्डियों में दर्द या सूजन हो सकती है।

यदि इन लक्षणों का अनुभव हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है ताकि उचित इलाज और प्रबंधन किया जा सके।

6 Reagan of sarcopenia

Sarcopenia के प्रमुख कारण .

  1. उम्र बढ़ना: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मांसपेशियों की ताकत और मास कम होने लगता है। वृद्धावस्था में मांसपेशियों के टूटने और फिर से बनने की क्षमता घट जाती है, जिससे सारकोपेनिया की संभावना बढ़ती है।
  2. शारीरिक गतिविधि की कमी: नियमित शारीरिक व्यायाम या गतिविधियों की कमी से मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन कम हो जाता है। निष्क्रिय जीवनशैली सारकोपेनिया का एक बड़ा कारण है।
  3. पोषण की कमी: खासकर प्रोटीन, विटामिन डी, और आवश्यक अमीनो एसिड की कमी से मांसपेशियों का विकास नहीं हो पाता। पोषण की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और उनका टूटना भी तेज हो जाता है।
  4. हार्मोनल बदलाव: उम्र बढ़ने के साथ शरीर में टेस्टोस्टेरोन, ग्रोथ हार्मोन, और इंसुलिन जैसी हार्मोन की मात्रा घट जाती है। ये हार्मोन मांसपेशियों की वृद्धि और रखरखाव में सहायक होते हैं।
  5. सूजन (इन्फ्लेमेशन): कुछ पुरानी बीमारियों में सूजन बनी रहती है, जिससे मांसपेशियों की मरम्मत और विकास की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  6. दवाइयां: कुछ दवाइयां (जैसे- स्टेरॉयड्स) लंबे समय तक लेने से भी मांसपेशियों की ताकत और मास कम हो सकता है।

सारकोपेनिया के इन कारणों को ध्यान में रखकर, जीवनशैली और आहार में बदलाव कर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।

1.उम्र बढ़ना:

 उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई प्राकृतिक बदलाव होते हैं, जो मांसपेशियों की ताकत और मास (मांसपेशियों का घनत्व) को प्रभावित करते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, मांसपेशियों का निर्माण और मरम्मत की क्षमता घटने लगती है। यह मांसपेशियों के टूटने और कमजोर होने का कारण बनता है, जिसे Sarcopenia  कहा जाता है। उम्र के बढ़ने पर होने वाले कुछ प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:

  1. मांसपेशियों की घटती निर्माण क्षमता: उम्र के साथ मांसपेशियों का निर्माण धीमा हो जाता है। शरीर प्रोटीन का निर्माण और उपयोग उस स्तर पर नहीं कर पाता, जो युवा अवस्था में संभव होता है।
  2. हार्मोनल बदलाव: उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन, ग्रोथ हार्मोन, और अन्य हार्मोन जो मांसपेशियों के विकास में सहायक होते हैं, उनकी मात्रा घटने लगती है। इन हार्मोन की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी आती है।
  3. तंतुओं का नुकसान: उम्र के साथ मांसपेशियों के तंतु (मसल फाइबर्स) धीरे-धीरे कम होते जाते हैं। मांसपेशियों में फाइबर्स के घटने से उनकी ताकत और लचीलापन भी कम हो जाता है।
  4. शारीरिक गतिविधि में कमी: वृद्धावस्था में अक्सर शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है। निष्क्रियता के कारण मांसपेशियों का क्षरण तेजी से होने लगता है, जिससे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं।
  5. तंत्रिका संबंधी बदलाव: उम्र के साथ मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच संचार का स्तर भी कमजोर होने लगता है, जिससे मांसपेशियों को नियंत्रित करने की क्षमता घट जाती है।

उम्र बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली अपनाकर मांसपेशियों के नुकसान को कम किया जा सकता है और उम्र बढ़ने के प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है।

2.शारीरिक गतिविधि की कमी: 

शारीरिक गतिविधि की कमी का मतलब है कि व्यक्ति नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियाँ नहीं करता, जैसे- व्यायाम, चलना-फिरना, खेलना, या कोई भी शारीरिक मेहनत वाला काम। यह निष्क्रिय जीवनशैली मांसपेशियों की ताकत, लचीलापन, और सहनशक्ति को धीरे-धीरे कम करती है। निष्क्रियता sarcopenia  (मांसपेशियों के नुकसान) का एक प्रमुख कारण है, क्योंकि बिना गतिविधि के मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं और उनका आकार भी कम होने लगता है।

शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होने वाले प्रभाव:

  1. मांसपेशियों का क्षरण: जब मांसपेशियों का नियमित उपयोग नहीं होता, तो शरीर उन्हें ऊर्जा स्रोत के रूप में इस्तेमाल कर तोड़ने लगता है। इससे मांसपेशियों का आकार और ताकत घटती है।
  2. मेटाबोलिज्म की कमी: शारीरिक गतिविधि की कमी से मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे शरीर में अतिरिक्त फैट जमा हो सकता है और वजन बढ़ सकता है। बढ़ता वजन मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
  3. हड्डियों की कमजोरी: शारीरिक गतिविधि से हड्डियाँ मजबूत बनती हैं, लेकिन निष्क्रियता से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है, जिससे हड्डियों के टूटने या फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  4. खराब रक्त संचार: शारीरिक गतिविधि के अभाव में रक्त संचार धीमा होता है, जिससे शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति घट सकती है। इससे मांसपेशियों की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  5. मूड और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: सक्रिय रहना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। शारीरिक गतिविधि की कमी से तनाव, अवसाद, और चिंता बढ़ सकती है, जिससे शारीरिक ऊर्जा और उत्साह में भी कमी आ जाती है।

रोकथाम और समाधान:

  • नियमित व्यायाम: पैदल चलना, तैराकी, योग, और हल्का वज़न उठाने वाले व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत रखने में सहायक होते हैं।
  • सक्रिय जीवनशैली: रोज़मर्रा के कामों में सक्रियता बढ़ाने की कोशिश करें, जैसे सीढ़ियाँ चढ़ना, घर के काम करना, या बागवानी करना।
  • मांसपेशियों का व्यायाम: शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम (जैसे वेट लिफ्टिंग) मांसपेशियों की ताकत को बनाए रखने और बढ़ाने में सहायक होते हैं।

नियमित शारीरिक गतिविधि न केवल Sarcopenia के जोखिम को कम करती है बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में भी मदद करती है।

3.पोषण की कमी:

 पोषण की कमी का मतलब है कि शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, और स्वस्थ वसा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहे हैं। यह मांसपेशियों के विकास, रखरखाव और ताकत के लिए आवश्यक है। पोषण की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है, जो धीरे-धीरे Sarcopenia  का कारण बन सकती है। खासकर, वृद्धावस्था में पोषण की कमी मांसपेशियों पर गहरा असर डालती है।

पोषण की कमी से होने वाले प्रभाव:

  1. प्रोटीन की कमी: प्रोटीन मांसपेशियों का मुख्य निर्माण तत्व है। अगर शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता, तो मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं। प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों का निर्माण धीमा हो जाता है और उनका टूटना तेज हो जाता है।
  2. विटामिन डी की कमी: विटामिन डी मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। इसकी कमी से मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, और हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  3. ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी: ओमेगा-3 फैटी एसिड मांसपेशियों की सूजन को कम करने और उनके विकास में मदद करता है। इसकी कमी से मांसपेशियों में सूजन और कमजोरी हो सकती है।
  4. कैल्शियम की कमी: कैल्शियम हड्डियों और मांसपेशियों के सही कार्य के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी आ सकती है और हड्डियों का घनत्व भी कम हो सकता है।
  5. विटामिन बी की कमी: विटामिन बी12 और बी6 जैसे विटामिन्स मांसपेशियों के स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी कमी से थकान, कमजोरी, और मांसपेशियों की ताकत में कमी आ सकती है।
  6. पानी की कमी (डिहाइड्रेशन): पानी शरीर के हर अंग के सही कार्य के लिए आवश्यक है। डिहाइड्रेशन से मांसपेशियों में ऐंठन और थकावट होती है और उनकी कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

रोकथाम और समाधान:

  • संतुलित आहार: प्रोटीन, विटामिन डी, कैल्शियम, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार लें। इनसे मांसपेशियों की ताकत और विकास में सुधार होता है।
  • प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ: अंडे, मछली, मांस, दूध, दही, और दालें प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • विटामिन सप्लीमेंट्स: डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी, बी12, और अन्य पोषक तत्वों के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
  • पानी की उचित मात्रा: शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है।

संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार न केवल मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि पूरे शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक होता है।

4.हार्मोनल बदलाव:

 उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो मांसपेशियों की ताकत, विकास, और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये हार्मोन मांसपेशियों के विकास और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनकी मात्रा में कमी या असंतुलन मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है, जिससे Sarcopenia (मांसपेशियों का नुकसान) होने की संभावना बढ़ जाती है।

हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाले प्रभाव:

  1. टेस्टोस्टेरोन में कमी: टेस्टोस्टेरोन एक मुख्य हार्मोन है जो मांसपेशियों के निर्माण और विकास में मदद करता है। उम्र के साथ पुरुषों और महिलाओं दोनों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है। इससे मांसपेशियों का आकार और ताकत घटने लगती है और मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।
  2. ग्रोथ हार्मोन (विकास हार्मोन) में कमी: ग्रोथ हार्मोन मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में सहायक होता है। उम्र के साथ इसका स्तर कम हो जाता है, जिससे मांसपेशियों की मरम्मत और नई मांसपेशियों के निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  3. इंसुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर-1 (IGF-1) में कमी: IGF-1 एक प्रकार का हार्मोन है जो मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। इसकी कमी से मांसपेशियों का टूटना बढ़ सकता है और उनकी मजबूती कम हो सकती है।
  4. एस्ट्रोजन में कमी: महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। एस्ट्रोजन मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण होता है, और इसकी कमी से मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं।
  5. कोर्टिसोल का बढ़ा स्तर: कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन है, जो लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहने पर मांसपेशियों का नुकसान कर सकता है। इससे मांसपेशियों में टूट-फूट बढ़ जाती है, और मांसपेशियाँ कमजोर होती जाती हैं।

रोकथाम और समाधान:

  • संतुलित आहार: प्रोटीन, विटामिन डी, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार हार्मोन संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  • नियमित व्यायाम: शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम, जैसे वेट ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज, हार्मोन के स्तर को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • तनाव कम करना: ध्यान (मेडिटेशन), योग, और पर्याप्त नींद से कोर्टिसोल का स्तर नियंत्रित रहता है।
  • डॉक्टरी सलाह: हार्मोनल असंतुलन से होने वाली समस्या के लिए डॉक्टर ,nutrition counselor से परामर्श करें। कुछ मामलों में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी सहायक हो सकती है।

हार्मोनल बदलाव उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से होते हैं, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार से उनके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है, जिससे मांसपेशियाँ मजबूत बनी रहती हैं और Sarcopenia  का जोखिम घटता है।

sarcopenia

Sarcopenia का उपचार और रोकथाम:

सारकोपेनिया का उपचार और रोकथाम संभव है, और इसके लिए मुख्य रूप से स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। उचित आहार, शारीरिक गतिविधि, और कुछ मामलों में दवाइयाँ या सप्लीमेंट्स Sarcopenia को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।

Sarcopenia की रोकथाम और उपचार के तरीके:

  1. व्यायाम और शारीरिक गतिविधि:
    • शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम (रेजिस्टेंस ट्रेनिंग): भार उठाने वाले व्यायाम (जैसे- वेट लिफ्टिंग) मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और उनकी ताकत को बढ़ाते हैं।
    • एरोबिक एक्सरसाइज: दौड़ना, तैराकी, साइकिलिंग जैसी एरोबिक गतिविधियाँ मांसपेशियों की सहनशक्ति और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं।
    • संतुलन और लचीलापन सुधारने वाले व्यायाम: योग और स्ट्रेचिंग जैसे व्यायाम से संतुलन और लचीलापन बढ़ता है, जिससे गिरने का खतरा कम होता है।
  2. पोषण:
  3. सप्लीमेंट्स:
    • प्रोटीन सप्लीमेंट्स: प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट्स लाभकारी हो सकते हैं, खासकर बुजुर्गों के लिए।
    • विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स: हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए इन सप्लीमेंट्स को डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।
    • क्रिएटिन: कुछ अध्ययन बताते हैं कि क्रिएटिन सप्लीमेंट्स मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति को बढ़ा सकते हैं।
  4. हार्मोन थेरेपी:
    • टेस्टोस्टेरोन या ग्रोथ हार्मोन का स्तर बहुत कम होने पर डॉक्टर की सलाह पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का विकल्प लिया जा सकता है। हालांकि, यह सिर्फ चिकित्सा सलाह के अनुसार ही लिया जाना चाहिए।
  5. तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद:

Sarcopenia को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इन उपायों को अपनाकर मांसपेशियों के नुकसान को धीमा किया जा सकता है और मांसपेशियों की ताकत को बनाए रखा जा सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना, और सक्रिय रहना Sarcopenia के जोखिम को कम करने के सबसे प्रभावी तरीके हैं।

ICMR according sarcopenia . 

भारत में सारकोपेनिया (मांसपेशियों के उम्र से संबंधित क्षय) का जोखिम बढ़ती उम्र के साथ गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने Sarcopenia  के जोखिम कारकों की पहचान की है, जिनमें शारीरिक गतिविधि की कमी, निम्न प्रोटीन युक्त आहार, और शहरीकरण के कारण बदलती जीवनशैली शामिल हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में उम्रदराज आबादी में Sarcopenia  का प्रचलन 17-20% तक हो सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित होती है

PLOS

PLOS

ICMR ने अनुशंसा की है कि Sarcopenia  की रोकथाम के लिए नियमित व्यायाम, विशेषकर मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने वाले व्यायाम, और संतुलित आहार पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, मांसपेशियों की ताकत का परीक्षण और उनके क्षय का जल्द पहचानना भी आवश्यक है ताकि इसके असर को कम किया जा सके और बुजुर्गों की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके।

Conclusion

Sarcopenia – एक उम्र से जुड़ी स्थिति है, जिसमें मांसपेशियों की ताकत और मास धीरे-धीरे घटते हैं, जिससे शारीरिक कमजोरी, संतुलन की कमी, और गिरने का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसे पूरी तरह रोका जा सकता है या नहीं, यह भले ही स्पष्ट न हो, फिर भी जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों के जरिए इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

नियमित व्यायाम, खासकर शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम, संतुलित और प्रोटीन युक्त आहार, पर्याप्त नींद, और तनाव प्रबंधन Sarcopenia  के जोखिम को कम करने और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त, पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स और जरूरत पड़ने पर हार्मोन थेरेपी भी उपयोगी हो सकती है, लेकिन इनका उपयोग चिकित्सकीय सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

सारकोपेनिया के प्रति जागरूक रहकर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लोग उम्र के साथ अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाए रख सकते हैं और स्वतंत्र और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।

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