Table of Contents
Toggleस्वस्थ आहार कैसे लें ?
( How to Eat Healthy ) ?
क्या आप जानते है, Eat healthy क्यों जरूरी हैं, हमें स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार के लिए रूप में कौन कौन से खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए। स्वस्थ हमारा सबसे बड़ा धन है। हमारे बड़े बुजुर्ग स्वस्थ के बारे में कह कर गए हैं, कि ” पहला सुख निरोगी काया ,,।
यदि शरीर स्वस्थ नहीं है, तो जीवन के सारे सुख बेकार लगते हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने खान-पान पर विशेष ध्यान नहीं देते। फलस्वरूप मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी अनेकों प्रकार की बीमारियाँ होना सामान्य हो गई हैं।
युवावस्था जीवन का सबसे ऊर्जावान और क्रियाशील समय होता है। यही उम्र होती है जब हम अपने भविष्य की नींव रखते हैं – चाहे वह करियर हो, रिश्ते हों या स्वास्थ्य। लेकिन दुर्भाग्यवश, आज के युवा पुरुष और महिलाएं असंतुलित आहार और अनियमित जीवनशैली के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
जंक फूड, देर रात तक जागना, मोबाइल की लत, और शारीरिक गतिविधि की कमी – ये सब मिलकर एक खतरनाक चक्र बना रहे हैं जो मोटापा, तनाव, त्वचा संबंधी समस्याएं, नींद की कमी, और यहां तक कि हार्मोनल असंतुलन तक का कारण बन रहे हैं।
इसका सबका मुख्य कारण है – अस्वस्थ आहार।( Unhealthy foods) ऐसे समय में यह जानना आवश्यक है कि Eat healthy क्या है, क्यों ज़रूरी है और इसे अपनाने के उपाय क्या हैं।और सही आहार लेने से आपको फायदे क्या क्या हैं।
Incease unhealthy eating habits.
अस्वस्थ खानपान की बढ़ती आदत.
1. जंक फूड का बढ़ता चलन
आज के समय में अधिकतर लोग पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज़, कोल्ड ड्रिंक्स आदि को पसंद करते हैं। ये खाद्य पदार्थ स्वाद में भले अच्छे लगते हैं, परंतु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इनमें ट्रांस फैट, अधिक चीनी और नमक होता है, जो शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।
2. समय की कमी
आजकल लोग इतने व्यस्त हैं कि वे अधिकतर लोग समय पर भोजन नहीं करते। कई बार लोग जल्दी में फास्ट फूड खा लेते हैं, जो जल्दी तो बन जाता है लेकिन पोषक नहीं होता। और साथ ही सुबह का नाश्ता छोड़ देना, रात में देर से खाना खाने के कारण से पाचन तंत्र कमजोर होता है। और हमारा शरीर बीमारियों के तरफ बढ़ते जाता है ।
3. जानकारी का अभाव
बहुत से लोगों को यह जानकारी ही नहीं होती कि उन्हें क्या क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए । आज के दौर में बच्चे हो या युवा, केवल स्वाद को प्राथमिकता देते हैं, न कि पोषण को। इसका असर भी हमे आगे जाकर मिलता है और अस्वस्थ होने का कारण बनता है।
कौन से भोजन में protein विटामिन मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड होती हैं और कौनसी भोजन में fiber है इसका जानकारी नहीं होने के कारण ,आज के युवा जनरेशन का ध्यान केवल और केवल कार्बोहाइड्रेट की तरफ बढ़ती जा रही है।जिस वजह से लोग ज्यादा बीमार रहने लगे है ,हम सभी थोड़ी थोड़ी जानकार भी बड़ा लेते है तो स्वास्थ रह सकते हैं।
4. मोबाइल और टीवी के साथ खाना
आजकल लोग में एक नई चलन प्रारंभ हो गया है मोबाइल या टीवी देखते हुए खाना खाने का। हमारा पूरा ध्यान मोबाइल की तरफ होता है या तो टीवी की तरफ होता हैं। ऐसे में हमें मालूम ही नहीं होता कि क्या खाना खा रहे है इससे न तो सही से चबाकर खाना खाते हैं और न ही पेट भरने का अनुभव करते हैं, जिससे अधिक खाने की आदत बन जाती है |
और हमारा शरीर obesity की तरफ बढ़ जाता है तब हमारा ध्यान जाता है और मोटापे को कम करने के लिए उल्टा पलटा तरीकों को अपना कर शरीर को और बिगड़ने का कम करते है ।जबकि सही पोषक तत्वों से युक्त आहार में लेना प्रारंभ कर सही तरीके से बैठ कर भोजन करे तो ,कई गंभीर रूप से होने वाली समस्याओं से बचे रह सकते हैं ।
.
What is healthy diet ?
क्या है स्वस्थ आहार?
Healthy deit का मतलब केवल कम खाना या डाइटिंग नहीं है। इसका तात्पर्य है – संतुलित और पोषणयुक्त भोजन करना। संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और पानी का संतुलित मात्रा में होना आवश्यक है।
1. संतुलित आहार के प्रकार :
कार्बोहाइड्रेट:
कार्बोहाइड्रेट्स के दो मुख्य प्रकार होते हैं: सरल और जटिल। सरल कार्बोहाइड्रेट्स, जैसे कि शर्करा और फलों में पाई जाने वाली फ्रक्टोज, जल्दी से पचते हैं और त्वरित ऊर्जा प्रदान करते हैं। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स, जैसे कि साबुत अनाज, सब्जियाँ और फलियाँ, धीरे-धीरे पचते हैं और लगातार ऊर्जा प्रदान करते हैं।
कार्बोहाइड्रेट्स का संतुलित सेवन महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। इसी तरह, अपर्याप्त कार्बोहाइड्रेट सेवन से ऊर्जा की कमी और थकान हो सकती है।
संपूर्ण आहार योजना में कार्बोहाइड्रेट्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन्हें संतुलित मात्रा में और स्वस्थ स्रोतों से प्राप्त करना चाहिए, जैसे कि साबुत अनाज, फल, सब्जियाँ और दालें, ताकि शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व मिल सकें। इसके अलावा, शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुँचाने में मदद करता है। इस प्रकार, कार्बोहाइड्रेट्स हमारे जीवन और स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
ऊर्जा के लिए आवश्यक, तत्व होता हैं कार्बोहाइड्रेट शरीर को चलाने में मदद करता है हमे हर गतिविधियों में ऊर्जा की जरूरत होती ,बिना ऊर्जा या kailori के हम अपनी दिन भर के कामों में थकान महसूस करना ,,आलस आना ,हाथ पैरों का कंप कपाना आदि अनुभव करते है करने के लिए आवश्यक होता हैं।
जैसे – चावल, रोटी, आलू।
प्रोटीन:
प्रोटीन मानव शरीर में होने वाली सभी महत्वपूर्ण कार्यों का संचालन करता है। शरीर की प्राथमिकता और जरूरतों के आधार पर, यह ऊतकों, कोशिकाओं, और अंगों के निर्माण और पुनर्निर्माण में सहायक होता है। यह मांसपेशियों, हड्डियों, चमड़े, और बालों का मुख्य घटक होता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है। प्रोटीन शरीर की संरचना को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संयंत्रों के तैयारी में भी सहायक होता है।
प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो उत्तेजना के लिए आवश्यक होते हैं और शरीर को गति देने में मदद करते हैं। यह मांसपेशियों के विकास और मांसपेशियों के परिरक्षण को संभालता है जिससे शरीर की क्षमता बढ़ती है और आम व्यायाम और दैनिक गतिविधियों को संभालने में मदद मिलती है।
शरीर की वृद्धि और मरम्मत के लिए, जैसे – दालें, दूध, अंडा, मांस।
वसा:
वसा का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना होता है, जिससे व्यक्ति अपने दिनचर्या को सम्भाल सके और शारीरिक कार्यों को सही ढंग से निभा सके। यह उसे तुरंत ऊर्जा और द्रव्यमान के रूप में प्राप्त होता है जिसे वह अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने के लिए उपयोग करता है
वसा के बिना, शरीर को अपेक्षित रूप से ऊर्जा प्राप्ति में कठिनाई हो सकती है और साथ ही उसे शारीरिक कार्यों को सही ढंग से संचालित करने के लिए अधिक समय लग सकता है। इसके अलावा, वसा शरीर के अंगों को ठंडक देने में भी मदद करती है जिससे व्यक्ति ठंडे मौसम में भी संभाल रख सकता है
यह भी ध्यान देने योग्य है कि वसा शरीर को अतिरिक्त रोगों से भी बचाव करती है और उसे स्थिर रखने में मदद करती है।
शरीर को ऊर्जा देने और अंगों की सुरक्षा हेतु आवश्यक। अच्छे वसा जैसे – घी, मूँगफली, नारियल तेल।
विटामिन व खनिज:
हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो कई महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विटामिन्स और मिनरल हमारे शरीर के विकास, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती, त्वचा की चमक, हड्डियों की मजबूती, और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। जो की कई खाद्य पदार्थों में काम मात्रा में होती है ।इस का निर्माण शरीर में नही हो सकता इसलिए इसे आहार के द्वारा हमे बाहर से लेना जरूरी है ।
यह आवश्यक है कि हम अपने eat healthy formula में विभिन्न प्रकार के vitamins और minerals को शामिल करें ताकि हम स्वस्थ और हमारा शारीरिक संरचना के विध्दि,विकास तथा हमारा imuniti सक्रिय रह सकें।और हमारे शरीर से free radicals से होनी वालीं नुकसान, असमय बुढ़ापा , बालों झड़ना, नाखून का मुड़ना,और विभिन्न प्रकार के रोगों से शरीर सुरक्षित बचाने का काम करते है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। फल और सब्जियाँ इसका अच्छा स्रोत हैं।
फाइबर:
विशेष रूप से पाचन तंत्र की सही क्रियाशीलता के लिए आवाश्यक तत्व है। डायट्री 7 है ।
हमारे खानो में उपस्थित डायट्री fiber को हमारा शरीर पाचन व अवशोषण तो नहीं कर सकता ,परन्तु यह कई महत्त्वपूर्ण शारीरिक कार्य करता है । protein और carbohydrate जैसे पोषक तत्वों के पाचन के बाद आहार से मिले fiber को शरीर द्वारा ऐक अपशिष्ट की तरह बाहर निकल दिया जाता है।
fiber को संतूलित मात्रा में लेते रहने हमारा शरीर में diabetic समस्या heart समस्या एवम पेट से संबंधित stomach diseases को आने से रोकने का कार्य कर सेहत को तंदुरुस्त बनाए रखने में योगदान देता है।
fiber रेशा दो प्रकार का होता है: घुलनशील (soluble) और अघुलनशील (insoluble)।
1.घुलनशील रेशा:
यह पानी में घुलकर जेल जैसी संरचना बनाता है। यह पाचन प्रक्रिया को धीमा करता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी सहायक होता है। घुलनशील रेशा जई, जौ, फल (जैसे सेब, संतरा), और बीन्स में पाया जाता है।
2.अघुलनशील रेशा:
यह पानी में नहीं घुलता और पाचन तंत्र से लगभग अपरिवर्तित होकर गुजरता है। यह मल को भारी बनाता है और उसे आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती। अघुलनशील रेशा साबुत अनाज, गेहूं की भूसी, सब्जियाँ (जैसे गाजर, खीरा) में पाया जाता है।
पाचन क्रिया में सहायक, जैसे – साबुत अनाज, फल, सलाद।
पानी:
आवायक पोषक तत्व -पानी मानव जीवन का एक अभिन्न अंग हैं,हम भोजन के बिना कुछ हप्त्ते जीवित तो रह सकते है लेकिन पानी के बिना कुछ ही दीन जीवित रह पायेंगे । हमारे शरीर के अंगो को गतिविधियों , उम्र और खानपान के अनुसार पानी की आवायकता होती है,शरीर का 55% से 75% हिस्सा पानी का होता है पानी हमारे शरीर के सभी अंगों का निर्माण ,संचालन और सफाई के लिए बहुत आवास होती है|
इसकी मौजूदगी कोशिकाओं अंगो और उत्तकों में होती है water में किसी प्रकार के carbohydrates vitamins नहीं होते है, परन्तु पानी का महत्व उतना ही जरूरी होता हैं जितना शरीर में अन्य nutrients का होता है। हमारे शरीर की सभी activities को संचालित करने के लिए पानी की महत्व पूर्ण जवाबदारी होती है जैसे कि body को hydred रखने में, भोजन को dijest करने मे , सभी अंगों तक nutrition को पहुंचने में और ,west पदार्थों के निष्कासन में पानी का अहम भूमिका होती है । शरीर में विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड:
Omega fatty acid एक essential acid है जिसे हमारा शरीर नहीं बना सकता है ,हमारे Eat healthy concepts. में ओमेगा 3 फैटी एसिड और 6 फैटी एसिड की कमी अक्सर देखने को मिलती है क्योंकि हम जो भोजन करते है उन सभी वस्तुओं में उपलब्ध नहीं होते हैं जिन्हें ,अपने भोजन में शामिल करते है ।इसलिए ओमेगा फैटी एसिड को बाहर से लेने की जरूरत पड़ती हैं
एंटीऑक्सीडेंट
एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में मुक्त कणों (Free Radicals) को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं। मुक्त कण शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) पैदा कर सकते हैं, जिससे कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। एंटीऑक्सीडेंट इन हानिकारक प्रभावों को कम करके शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करते हैं।
Ayurvedic approch
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आयुर्वेद में बताया गया है कि व्यक्ति को “सात्विक भोजन” लेना चाहिए, यानी ऐसा भोजन जो ताजगी से भरपूर हो, प्राकृतिक हो, आसानी से डाइजेस्टिव और शरीर में समाहित होने की संभावना ज्यादा हो और आत्मा को शांत करे।
आयुर्वेद भारतीय जीवन शैली का प्राचीन विज्ञान है, जिसमें आहार को दवा के रूप में माना गया है। आयुर्वेद में कहा गया है –
“अन्नं हि औषधम्” – अर्थात भोजन ही सर्वोत्तम औषधि है।
आयुर्वेद में आहार के सिद्धांत:
1. त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ)
हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है – वात, पित्त और कफ के आधार पर।
- वात प्रकृति वालों को गरम, ताजगी युक्त और चिकनाई युक्त आहार अच्छा होता है।
- पित्त प्रकृति वालों को ठंडा, मीठा और कम मसालेदार भोजन उपयुक्त होता है।
- कफ प्रकृति वालों को हल्का, सूखा और मसालेदार आहार अच्छा होता है।
2. सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन
- सात्विक भोजन: ताजा, शुद्ध, शाकाहारी और हल्का भोजन – जैसे फल, सब्ज़ियाँ, दालें, घी, दूध। यह मन और शरीर दोनों को शांत करता है।
- राजसिक भोजन: तीखा, खट्टा, नमकीन – जो अधिक उत्तेजना उत्पन्न करता है।
- तामसिक भोजन: बासी, भारी, माँसाहार, अधिक तेल-घी – यह आलस्य और नकारात्मकता लाता है।
3. ऋतु अनुसार आहार (ऋतुचर्या)
आयुर्वेद के अनुसार, हर मौसम में शरीर की जरूरतें बदलती हैं।
- ग्रीष्म ऋतु: तरल पदार्थ, जल, फल, खीरा, बेल शरबत।
- वर्षा ऋतु: हल्का और गर्म भोजन, सूप, मूँग की खिचड़ी।
- शीत ऋतु: घी, मेवे, गरम दूध, गाजर का हलवा।
आयुर्वेदिक आहार संबंधी कुछ मुख्य नियम:
नियम | विवरण |
समय पर भोजन करें | अनियमित समय पर भोजन करने से पाचन अग्नि कमजोर होती है। |
भोजन से पहले भूख महसूस होना चाहिए | बिना भूख के खाना जहर के समान माना गया है। |
भोजन के बीच पानी न पिएँ | खाने के दौरान बहुत अधिक पानी पीना पाचन को धीमा कर देता है। |
ताजे और गरम भोजन करें | बासी, फ्रिज का खाना आयुर्वेद में निषिद्ध है। |
दिन में भारी भोजन, रात में हल्का भोजन करें | क्योंकि दिन में पाचन क्रिया मजबूत होती है। |
कुछ आयुर्वेदिक आहार सुझाव:
- भोजन में त्रिफला, अदरक, हल्दी, जीरा, हींग का प्रयोग पाचन सुधारने में सहायक है।
- सुबह गुनगुना पानी पीना शरीर को डिटॉक्स करता है।
- दिन में 1 बार सत्तू, छाछ, नारियल पानी पीना लाभकारी है।
- भोजन के बाद 1 सौंफ या इलायची चबाना पाचन में सहायक है।
Adopt healthy eating habits.
स्वस्थ खाने की आदतें अपनाएँ
1. दिनचर्या सुधारें
- सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें।
- नाश्ता कभी न छोड़ें। यह दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन होता है।
- हर भोजन के बीच 4-5 घंटे का अंतर रखें।
- रात का खाना सोने से 2-3 घंटे पहले करें।
2. क्या खाएँ?
- सुबह: अंकुरित अनाज, दलिया, ओट्स, दूध, फल।
- दोपहर: रोटी, दाल, हरी सब्जी, चावल, सलाद, छाछ।
- शाम: हल्का नाश्ता – भुना चना, मखाने, हर्बल टी।
- रात: हल्का भोजन – खिचड़ी, दलिया, सब्जियाँ।
3. क्या न खाएँ?
- अत्यधिक तला-भुना खाना।
- अधिक चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थ।
- पैकेज्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक, प्रिज़र्वेटिव युक्त भोजन।
- देर रात खाना।
4. भोजन से जुड़ी अच्छी आदतें
- धीरे-धीरे और चबाकर खाएँ।
- भोजन करते समय ध्यानपूर्वक खाएँ (Mindful Eating)।
- खाने के तुरंत बाद पानी न पिएँ, 30 मिनट का अंतर रखें।
- ताज़ा और घर का बना खाना प्राथमिकता दें।
5. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएँ
- केवल अच्छा खाना काफी नहीं, रोज़ाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलें या योग करें।
- इससे भोजन का पाचन बेहतर होता है और वजन नियंत्रित रहता है।
Special tips
विशेष सुझाव
1 | सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास करें। | |
2 | मौसमी फल व सब्जियाँ अवश्य खाएँ। | |
3 | रिफाइंड तेल की जगह ठंडा प्रेस्ड तेल का उपयोग करें। | |
4 | भोजन में विविधता रखें – हर रंग की सब्जियाँ खाएँ। | |
5 | बच्चों में बचपन से ही हेल्दी खाने की आदत डालें। |
Conclusion
स्वस्थ आहार कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। जब हम अपने शरीर को अच्छा ईंधन देते हैं, तो यह बेहतर तरीके से काम करता है। हेल्दी डाइट न केवल बीमारियों से बचाती है, बल्कि हमारी ऊर्जा, मूड और मानसिक स्थिति को भी बेहतर बनाती है। अतः आज से ही ठान लें – स्वस्थ भोजन, स्वस्थ जीवन।
युवावस्था में अपनाई गई अच्छी खानपान की आदतें पूरे जीवनभर साथ देती हैं। युवा पुरुष और महिलाएं अगर आज से ही संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं, तो वे न केवल वर्तमान में ऊर्जावान रहेंगे, बल्कि भविष्य की बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
“स्वस्थ युवा, सशक्त राष्ट्र” – यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। thanks for riddings
jaiswal nutrition
sabse pahale sehsat