Healthy and harmful fats.

Healthy and hurmful fats.

   Healthy and harmful fats.

                वसा का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना होता है, जिससे व्यक्ति अपने दिनचर्या को सम्भाल सके और शारीरिक कार्यों को सही ढंग से निभा सके। यह उसे तुरंत ऊर्जा और द्रव्यमान के रूप में प्राप्त होता है जिसे वह अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने के लिए उपयोग करता है   

              वसा के बिना, शरीर को अपेक्षित रूप से ऊर्जा प्राप्ति में कठिनाई हो सकती है और साथ ही उसे शारीरिक कार्यों को सही ढंग से संचालित करने के लिए अधिक समय लग सकता है। इसके अलावा, वसा शरीर के अंगों को ठंडक देने में भी मदद करती है जिससे व्यक्ति ठंडे मौसम में भी संभाल रख सकता है

           यह भी ध्यान देने योग्य है कि वसा शरीर को अतिरिक्त रोगों से भी बचाव करती है और उसे स्थिर रखने में मदद करती है।

  Kinds of fat

 वसा के प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. सत्तू वसा (Saturated fat)
  2. अनिसत्तू वसा (Unsaturated fat)
  3. पॉलीअनिसत्तू वसा (Polyunsaturated fat)
  4. मोनोअनिसत्तू वसा (Monounsaturated fat)
  5. ट्रांस फैट (Trans fat)

Function of fat

वसा के कार्य इस प्रकार हैं:

  1. सत्तू वसा (Saturated fat): यह वसा मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों में पाया जाता है और यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। इसका संभावित उपयोग हृदय और अन्य अंगों के स्वस्थ संचालन में होता है।
  2. अनिसत्तू वसा (Unsaturated fat): इसमें मोनोअनिसत्तूरेटेड वसा और पॉलीअनिसत्तूरेटेड वसा शामिल होते हैं। ये वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं।
  3. पॉलीअनिसत्तू वसा (Polyunsaturated fat): यह वसा शरीर के लिए आवश्यक फैटी एसिड्स (जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6) के स्रोत के रूप में काम करता है, जो स्वस्थ न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल फ़ंक्शनिंग के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  4. मोनोअनिसत्तू वसा (Monounsaturated fat): यह वसा शरीर के लिए जरूरी तत्वों का स्रोत होता है और हृदय के स्वास्थ्य को संरक्षित रखने में मदद करता है।
  5. ट्रांस फैट (Trans fat): यह वसा जोड़ों के आकार में अद्वितीय होता है और अधिक से अधिक सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। इसका ट्रांस फैट के अधिक सेवन से बढ़ सकता है ,अन्य गंभीर बीमारियों  के साथ ही ज्ज्वाइंट की समस्या।

Sources of fat 

           वसा शरीर के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक होती है और इसकी प्राप्ति विभिन्न स्रोतों से होती है। मुख्यतः वसा खाद्य पदार्थों में पायी जाती है, जैसे कि तेल, मक्खन, मांस, डेयरी उत्पाद, नट्स और बीज। वसा का प्राथमिक स्रोत तेल होता है, जो अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है।

            वसा की दूसरी प्रमुख स्रोत डेयरी उत्पाद होते हैं, जिनमें दूध, दही, पनीर और मक्खन शामिल होते हैं। इनमें मौजूद वसा शरीर के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करता है, विशेषकर विटामिन और अन्य मिनरल्स के साथ।

             अन्य स्रोतों में मांस, मछली, अंडे, और नट्स और बीज शामिल होते हैं, जो मोनोअनिसत्तूरेटेड और पॉलीअनिसत्तूरेटेड वसा के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। इन सभी स्रोतों से वसा शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है और साथ ही विभिन्न शारीरिक कार्यों, जैसे कि अंगों की संरचना के लिए आवश्यक मस्तिष्क की स्वस्थता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

     वसा के प्राप्ति के प्रमुख स्रोतों को निम्नलिखित अंकों में विस्तार से समझाया जा सकता है:
  1. तेलों के वनस्पतियों से

    : जैसे कि सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, मूंगफली, और सरसों के बीज से प्राप्त होते हैं।

  2. डेयरी उत्पादों से

    : जैसे कि दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि।

  3. मांस और मछली से

    : जो भीड़, मुर्गा, मछली, और अन्य पशुओं से प्राप्त होते हैं।

  4. अंडों से

    : जो मुर्गी, बत्तख, और अन्य पक्षियों से प्राप्त होते हैं।

  5. नट्स और बीजों से

    : जैसे कि अलमोंड, पीनट्स, काजू, और सेसेम सीड्स।

           ये सभी स्रोत वसा के रूप में शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण प्रदान करते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

Plant based fat 

           प्लांट बेस्ड फैट होती हैं जो वनस्पतियों से प्राप्त होती हैं और जो मुख्यतः खाद्य पदार्थों में पाई जाती हैं। यह फैट्स मुख्यतः अवसर्गीकृत या अनअवसर्गीकृत हो सकती है

Deficiency of fats

                                               Deficiency of fat

        वसा की कमी (Deficiency of fat)शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है और इससे कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। वसा की कमी के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. नुकसान पूरी खाद्य परिपति में: अगर व्यक्ति नियमित रूप से वसा सम्मिलित नहीं करता है या फिर उन्हें कम मात्रा में मिलती है, तो वसा की कमी हो सकती है।
  2. विशेष आवश्यकताओं की कमी: कुछ विशेष आवश्यकताएं जैसे कि ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की कमी भी हो सकती है, जो वसा से प्राप्त होती हैं और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  3. गंभीर रोगों की दुर्बलता: कुछ रोग जैसे कि मलासर्कोमा, किस्तितिस, और मलाब्सर्प्शन में वसा की समस्या हो सकती है।
  4. नियमित रूप से वसा का खपत: वसा की अधिक खपत या तेजी से वसा का गायब हो जाना भी वसा की कमी का कारण बन सकता है।

              वसा की कमी के प्रमुख लक्षण शामिल हो सकते हैं जैसे कि त्वचा की खराबी, बालों की सुखापन, मस्तिष्क की कमजोरी, और शारीरिक कमजोरी। इसलिए, सही मात्रा में वसा को आपके आहार में शामिल रखना आवश्यक है ताकि आपके शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए पर्याप्त पोषण मिल सके।

Execess of fats.

Excess of fats

               वसा की अतिरिक्तता (Excess of fat) शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है और इससे कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। वसा की अतिरिक्तता के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. अधिक खाने की आदत: अधिक तेल और वसा सम्मिलित आहार लेने से शरीर में वसा की अधिशेष का जमाव अधिक हो सकता है।
  2. कम शारीरिक गतिविधि: अगर शारीरिक गतिविधियों में कमी होती है तो वसा शरीर में जमा हो सकती है।
  3. आलस्य और अनियमित आहार: आलस्य और अनियमित आहार लेने से भी वसा का अधिशेष जमा हो सकता है।
  4. जीवनशैली के अनुरूप अनुपातित आहार: अगर आपकी जीवनशैली बैठकर और कम शारीरिक गतिविधियों वाली है, लेकिन आप अधिक भोजन करते हैं, तो भी वसा की अतिरिक्तता हो सकती है।

          वसा की अतिरिक्तता के प्रमुख लक्षण शामिल हो सकते हैं जैसे कि वजन में बढ़ोत्तरी, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।

           इसलिए, संतुलित और स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से वसा की संतुलित मात्रा को बनाए रखना आवश्यक है।

 

Benefit of fat balence

Benefit of fat balance

                        Benefit of fat balance  वसा संतुलित आहार के महत्वपूर्ण हिस्सा होती है और इसके संतुलन के लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. ऊर्जा प्रदान करना: सही मात्रा में वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और दिनचर्या को संभालने में मदद करती है।
  2. हार्मोनल स्वास्थ्य: वसा के संतुलन से हार्मोन्स का संतुलन बना रहता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. नवीनीकरण और संरचना: वसा संतुलन त्वचा, बाल, और नेत्र के संरचना में मदद कर सकता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
  4. विटामिनों के अवशेषन: कुछ विटामिन्स (जैसे विटामिन ए, डी, ई और क) के अवशेषन के लिए वसा आवश्यक होता है, जो उनके पोषक तत्वों को शारीर को पहुंचाने में मदद करते हैं।
  5. संरक्षण और रक्षा: वसा शरीर के अंतर्गत अंगों को संरक्षित रखने में मदद करती है और उन्हें स्थिर रखने में मदद करती है।

            इन सभी लाभों के लिए, सही मात्रा में वसा संतुलन आपके आहार में महत्वपूर्ण होता है।

Dosage of fat according WHO

      

            विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) वसा की “मात्रा” की स्पष्ट निर्देशिका नहीं देता है जैसे कि दवाओं के लिए उपयोगी होता है। इसके बजाय, यह आहारीक दिशानिर्देश प्रदान करता है जो वसा की खपत के प्रति दिनचर्या में उपयुक्त राशि की सिफारिश करता है। यहां विस्तार से उन निर्देशों को दिया गया है:

  1. कुल वसा: WHO सुझाव देता है कि कुल वसा का सेवन दिनचर्या में कुल ऊर्जा के अंतर्गत 30% से अधिक नहीं होना चाहिए। इसमें सभी प्रकार की वसा शामिल है, यहां तक कि संतृप्त और असंतृप्त वसा भी।
  2. संतृप्त वसा: WHO की सिफारिश है कि संतृप्त वसा का सेवन दिनचर्या में कुल ऊर्जा के 10% से कम होना चाहिए।
  3. ट्रांस वसा: WHO सलाह देता है कि आहार में ट्रांस वसा को जितना कम संभव हो सम्भव रखा जाए। आदर्श रूप से, ट्रांस वसा का सेवन दिनचर्या की कुल ऊर्जा के 1% से कम होना चाहिए।
  4. असंतृप्त वसा: असंतृप्त वसा, जिसमें मोनोअनिसत्तूरेटेड औm,.र पॉलीअनिसत्तूरेटेड वसा शामिल होती हैं, स्वास्थ्यप्रद विकल्प मानी जाती हैं। जब भी संभव हो, इन्हें संतृप्त और ट्रांस वसा की तुलना में चुना जाना चाहिए।

              ये निर्देश दिलाई गई हैं ताकि हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सके और उच्च वसा सेवन से जुड़ी अन्य सामान्य बीमारियों का खतरा कम किया जा सके। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत आहारीक आवश्यकताओं में वसा की मात्रा व्यक्ति के उम्र, लिंग, गतिविधि स्तर और सामान्य स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकती है। 

          इसलिए, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता या पंजीकृत डाइटीशियन की सलाह लेकर वसा की सही सेवन सिफारिशों का संदर्भ स्थापित करने में मदद कर सकता है।

Doses of fat IMC according 

       IMC (शारीरिक मास अनुपात) और वसा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता है, क्योंकि IMC व्यक्ति के वजन और लंबाई के संबंध में है जबकि वसा उसके आहार से संबंधित होती है।

IMC के अनुसार व्यक्ति की शारीरिक स्थिति को निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित गाइडलाइन्स होते हैं:

  1. कम IMC: 18.5 से कम – व्यक्ति को दुबलापन और कमजोरी के संकेत हो सकते हैं।
  2. सामान्य IMC: 18.5 से 24.9 – यह स्वस्थ शारीरिक मास अनुपात को दर्शाता है।
  3. अधिक IMC: 25 से 29.9 – यह व्यक्ति को मोटापा के लिए गाइडलाइन्स देता है।
  4. गंभीर IMC: 30 से अधिक – यह व्यक्ति को बेहद वजनीय अवस्था दर्शाता है, जिसे ओबेसिटी कहा जाता है।

           वसा की मात्रा के लिए, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा यह सिफारिश की गई है कि कुल दिनचर्या में वसा का सेवन 30% से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे व्यक्ति को अधिक वसा अवश्यकता से बचाया जा सकता है जो IMC को स्वस्थ सीमा में रखने में मदद कर सकता है।

Essentials of  fat –

          वसा का महत्व (Importance of fat) शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारक हैं जो वसा का महत्व दर्शाते हैं:

  1. ऊर्जा के स्रोत: वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और दिनचर्या को संभालने में मदद करती है। यह विशेष रूप से लंबी अवधि तक स्थिरता और ऊर्जा देती है।
  2. विटामिनों के अवशेषन: कुछ विटामिन्स (जैसे विटामिन ए, डी, ई और क) वसा के अवशेषन के लिए आवश्यक होते हैं, जो उनके पोषक तत्वों को शारीर को पहुंचाने में मदद करते हैं।
  3. हार्मोनल संतुलन: वसा का सही संतुलन शारीरिक हार्मोन्स के लिए महत्वपूर्ण है, जो विभिन्न शारीरिक कार्यों में मदद करते हैं, जैसे कि रक्तचालन, बाल, और त्वचा की स्वस्थता।
  4. न्यूरोलोजिकल फंक्शन: वसा कार्य में भी महत्वपूर्ण योगदान करती है, जैसे कि न्यूरोलोजिकल फंक्शन (मस्तिष्क की कार्यप्रणाली) को संरक्षित रखना।
  5. अंतर्निहित अवशेषक: वसा कुछ अंतर्निहित अवशेषकों की संरचना में मदद करती है, जो शरीर के विभिन्न कार्यों में भाग लेते हैं, जैसे कि एसिडिटी का नियंत्रण करना।

           इन सभी कारणों से स्पष्ट होता है कि वसा का सही मात्रा में सेवन शरीर के लिए आवश्यक है, और इसकी कमी या अधिकता दोनों ही अवस्था में स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

fat

Body fat -Visceral fat

          “Body fat”  को हिंदी में “शरीर की वसा” या “शारीरिक वसा” कहा जाता है। यह शरीर में मौजूद वसा का प्रतिशत है जो आमतौर पर त्वचा के नीचे, शिरा, अंग, और अंगों के आसपास स्थित होता है।

शरीर की वसा को दो भागों में बांटा जा सकता है:

  1. अंतर्निहित वसा (Visceral fat): यह वसा अंगों के आसपास और शरीर के अंतर्गत स्थित होता है, जैसे कि अंडकोष, गुर्दे और अंतड़ी। यह वसा मध्यम या अधिक मात्रा में होने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  2. बाह्य वसा (Subcutaneous fat): यह वसा त्वचा के नीचे स्थित होता है और शरीर के बाहर स्थित होता है। यह वसा होना सामान्य होता है और शारीरिक स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है।

               शरीर की वसा का स्तर स्वास्थ्य और व्यक्ति के शारीरिक प्रकृति के अनुसार बदलता है, और इसे नियंत्रित करने के लिए उचित आहार, व्यायाम, और आदर्श जीवन शैली का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

Visceral fat

           “Visceral fat” को हिंदी में “अंतर्निहित वसा” या “अंतर्दहिन वसा” कहा जाता है। यह वसा शरीर के अंदर, जैसे कि अंगों के चारों ओर, अंडकोष, गुर्दे और अंतड़ी के आसपास स्थित होता है। अंतर्निहित वसा अन्य शरीर के बाहरी वसा से अलग होता है और यह वसा स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है।

           अंतर्निहित वसा की अधिक मात्रा के संबंध में जोखिम शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बढ़ जाता है, जैसे किमोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, जोड़ों का दर्द, घुटने का दर्द,और अन्य जीवनशैली रोगों का कारण बन सकता है।

             इसलिए, यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य को संरक्षित रखने के लिए अंतर्निहित वसा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए उचित आहार, व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें।

Conclusion

वसा का महत्व शारीरिक स्वास्थ्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वसा हमारे शरीर के विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है। 

               यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने आहार में सही प्रकार के वसा का सेवन करें और सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं। इसके अलावा, अधिक वसा के संकेत और अत्यधिकता के नुकसान के बारे में जागरूक रहना भी महत्वपूर्ण है। 

             वसा की मात्रा अधिक ना होने देने कि समझदारी से और स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का पालन करना चाहिए।

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